पिता जीवन है , संबल है , शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है
पिता रोटी है , कपड़ा है , मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आस्मान है
किसी गुणी कवि की ये कविता सच्ची श्रधांजलि है हर उस पिता को जो अपना सारा जीवन सिर्फ़ अपने बच्चो की अच्छी परवरिश मे बिता देते है . लोग माँ को तो ममता की मूरत कहते रहे पर क्या कभी पिता के खामोश स्नेह , त्याग और परिश्रम को समझ पाए ? माँ का आँचल हमेशा ही जीवन की कड़ी धूप से बचने का स्थान रहा , पर पिता ने तो उस धूप का सामना करना सिखाया है . बाहर की दुनिया केसी है ? जिंदगी मे क्या क्या परेशानियों का सामना करना होगा ये व्यावहारिक ज्ञान का खजाना तो पिता के पास ही है .
Tuesday, June 3, 2008
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4 comments:
chalo koi tho hey...jo un ke leye bhe sochta hey...
ब्लॉग के टाइटल से लगा कि यहाँ तो टीवी की तरह ब्रेकिंग न्यूज़ होंगे, मगर मिला कुछ और। खैर जो भी मिला अच्छा मिला। ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
हिन्दी से सदैव जुड़े रहने के लिए
अच्छा है,पर शीर्षक थोड़ा भ्रामक है.........
आलोक सिंह "साहिल"
सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.manojsoni.co.nr
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