बहुत खाया , बहुत हँसे , बहुत सोये , अब ये सब छूट जाएगा । आखरी दोपहर इंदौर मे बीत रही है , अब जाने कब आना हो . दिल्ली मे यही सब तो नही है . सब भाग रहे है पेर कोई कही नही पहुच रहा कुछ सुना याद आ रहा है ..
मुश्किल है इस शहर से जाना
जाने कब हो वापस आना
भूल ना जाना , याद ना आना
मुश्किल है इस शहर से जाना
जाने कब हो वापस आना
भूल ना जाना , याद ना आना
ये दिल है कितना दीवाना
चार दिनों मे इसने कितने रिश्ते नाते जोड़े l
कोई चिंता नही , सबको अपनी जड़ो मे ही लोटना है .